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काली कमाई के लिए ‘बलि’: गुजरात में बुजुर्ग दंपत्ति की तांत्रिक हत्या, बेटे के दोस्त ही निकले कातिल

गुजरात के जसरा गांव में तांत्रिक हत्या मामले की जांच करती पुलिस टीम

अहमदाबाद: गुजरात के बनासकांठा जिले से एक रूह कंपा देने वाला मामला सामने आया है, जहां अंधविश्वास की आग में चार लोगों ने मिलकर एक बुजुर्ग दंपत्ति की बेरहमी से हत्या कर दी। तांत्रिक क्रिया से अचानक धन प्राप्ति के लालच में, पीड़ितों के गहनों को ‘काली पूजा’ में इस्तेमाल करने के इरादे से इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया गया।


हत्या के पीछे था ‘तांत्रिक संपत्ति-वृद्धि’ का अंधविश्वास

गुजरात पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि चारों आरोपियों को यह विश्वास था कि अगर वे किसी की हत्या कर गहने चुराएं और उन्हें तांत्रिक अनुष्ठान में इस्तेमाल करें, तो उन्हें अकूत संपत्ति मिल सकती है। इस अंधश्रद्धा ने उन्हें इस हद तक अंधा कर दिया कि उन्होंने अपने ही पड़ोसियों को मार डाला।

तांत्रिक ने आरोपियों को यकीन दिलाया कि “बलि के साथ चुराए गए गहनों से की गई पूजा से जल्दी धन प्राप्त होगा।” यह पूरी साजिश इसी अंधविश्वास पर आधारित थी।


अपने ही पड़ोसियों को बनाया शिकार

वृद्ध दंपत्ति वर्धाजी मोतीजी पटेल और उनकी पत्नी होशिबेन, बनासकांठा जिले के जसरा गांव में रहते थे। वे एक पुलिस इंस्पेक्टर के माता-पिता थे, जो गांधीनगर में तैनात हैं। आरोपी सुरेश पटेल और उसका पिता शामला पटेल उनके पड़ोसी थे और कई वर्षों से परिचित थे।

15 जून की रात, आरोपी अपने मामा उमाभाई पटेल और एक तांत्रिक दिलीप ठाकोर की मदद से योजना बनाकर उनके घर में दाखिल हुए। घर से महज 80 मीटर दूर रहते हुए भी उन्होंने कोई शक नहीं होने दिया।


पैर काटकर निकालें गहने, फिर हुई ‘काली पूजा’

हत्या की रात, उमाभाई ने पास में ट्रैक्टर और थ्रेशर को चालू रखा, जिससे कि किसी भी प्रकार की चीख-पुकार सुनाई न दे। सुरेश और उसके पिता घर में घुसे और सो रहे दंपत्ति पर चाकुओं से ताबड़तोड़ वार किए। होशिबेन के पैरों से पायल नहीं उतर पाने पर, उन्होंने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए उनके पैर ही काट दिए।

वारदात के बाद उन्होंने घर से सोने के झुमके, नथ, चेन और अन्य गहने चुराए और तुरंत अपने खेत पर लौटे। वहां उन्होंने दिलीप ठाकोर के निर्देश पर तांत्रिक पूजा की जिसमें वही गहने इस्तेमाल किए गए।


112 गुजरात पुलिसकर्मी, 80 CCTV फुटेज, 300 लोगों से पूछताछ

घटना के बाद पुलिस के लिए यह केस एक बड़ी चुनौती बन गया क्योंकि गांव दूरस्थ और सीसीटीवी कवरेज रहित था। प्रारंभिक तौर पर पुलिस को लगा कि यह अपराध कोई बुजुर्गों को टारगेट करने वाला गिरोह कर सकता है।

लेकिन SP अक्षयराज माकवाणा की अगुआई में बनी टीम ने 112 पुलिसकर्मियों के साथ 80 से ज्यादा CCTV फुटेज खंगाले, 300 से अधिक ग्रामीण और श्रमिकों से पूछताछ की और डॉग स्क्वॉड के सहारे पूरे क्षेत्र की तलाशी ली।

तकरीबन 36 घंटे के भीतर पुलिस ने चारों आरोपियों को पकड़ लिया और साजिश का पर्दाफाश कर दिया।


हत्या का मकसद था कर्ज से छुटकारा और ‘काली कमाई’

गुजरात  पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि सुरेश पटेल काफी कर्ज में डूबा हुआ था और उससे बाहर निकलने के लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार था। जब दिलीप ठाकोर नामक तांत्रिक ने उसे बताया कि “अगर किसी की बलि देकर गहने लाकर तांत्रिक अनुष्ठान किया जाए तो धन वर्षा संभव है,” तो सुरेश ने यह मान लिया।

उसने अपने पिता और मामा के साथ मिलकर हत्या की योजना बनाई और ऐसे पड़ोसियों को चुना जिनके बारे में उसे यकीन था कि वे प्रतिरोध नहीं करेंगे।


अंधविश्वास का खौफनाक चेहरा

इस घटना ने एक बार फिर समाज में मौजूद अंधविश्वास की भयावहता को उजागर कर दिया है। जहां एक ओर भारत चंद्रयान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ इलाके अब भी काले जादू और बलि जैसी कुप्रथाओं में जकड़े हुए हैं।

SP माकवाणा ने स्पष्ट कहा, “यह अपराध सिर्फ लालच का नहीं, बल्कि अंधश्रद्धा और तांत्रिक धोखेबाज़ी का परिणाम है। हम ऐसे अपराधों पर सख्त कार्रवाई जारी रखेंगे।”

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