अहमदाबाद विमान हादसा: पायलट सुमित सभरवाल का अधूरा वादा और पिता की टूटी उम्मीदें

पिता से किया आखिरी वादा रह गया अधूरा, हादसे में चली गई बेटे की जान

गुजरात के अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे ने जहां देशभर में शोक की लहर फैला दी, वहीं इस हादसे ने पायलट सुमित सभरवाल के परिवार को भी गहरे दुख में डुबो दिया। 8,300 घंटे की उड़ान का अनुभव रखने वाले कैप्टन सुमित सभरवाल की इस दर्दनाक दुर्घटना में मौत हो गई। उन्होंने कुछ दिन पहले ही अपने 90 वर्षीय बुजुर्ग पिता से वादा किया था कि वे जल्द ही नौकरी छोड़कर उनका पूरा ख्याल रखेंगे, लेकिन अब वह वादा हमेशा के लिए अधूरा रह गया।


आखिरी उड़ान बन गई अंतिम विदाई

पायलट सुमित सभरवाल एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 को अहमदाबाद से लंदन ले जा रहे थे। टेकऑफ के कुछ मिनटों बाद ही विमान क्रैश हो गया, जिसमें 265 यात्रियों की मौत हो गई। सुमित भी इस हादसे का शिकार हो गए। यह उनकी नौकरी की अंतिम उड़ान थी, जिसके बाद वे पिता को समय देने की योजना बना रहे थे।


पिता से किया वादा: “अब और नहीं उड़ूंगा”

सुमित कई वर्षों से पायलट के रूप में सेवाएं दे रहे थे और अब रिटायरमेंट लेने की योजना बना रहे थे। उनके जानने वालों का कहना है कि सुमित ने हाल ही में अपने पिता से कहा था:

“बस कुछ दिन और… फिर मैं हमेशा आपके साथ रहूंगा।”

लेकिन नियति ने यह मौका नहीं दिया। अब न वो बेटा है, न उसका साथ, सिर्फ रह गईं उसकी यादें और अधूरा वादा।

कौन थे कैप्टन सुमित सभरवाल?

  • पता: मुंबई के पवई निवासी

  • अनुभव: 8,300 घंटे की उड़ान

  • परिवार: बुजुर्ग पिता, दो भतीजे जो खुद भी पायलट हैं

  • पिता का बैकग्राउंड: डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) से रिटायर्ड अधिकारी

सुमित एक जिम्मेदार और संवेदनशील बेटा थे। उनके पड़ोसियों ने बताया कि वे अक्सर उड़ान भरने से पहले पड़ोसियों से अपने पिता का ध्यान रखने की विनती करते थे।


पड़ोसियों और दोस्तों की आंखें भी नम

सुमित के पड़ोसियों ने बताया कि उन्होंने हमेशा पिता की देखभाल को प्राथमिकता दी। एक पड़ोसी ने कहा:

“उड़ान पर जाने से पहले सुमित हमसे कहते थे – पापा का ध्यान रखना। अब वही पिता अकेले रह गए हैं, टूट चुके हैं।”


निष्कर्ष: एक बेटा, एक वादा, और एक अधूरी कहानी

सुमित सभरवाल की यह कहानी सिर्फ एक विमान हादसे की नहीं, बल्कि उस निजी दर्द और टूटे रिश्ते की भी है, जो हर दुर्घटना अपने पीछे छोड़ जाती है। एक बेटा, जिसने अपने पिता के लिए ज़िंदगी की दिशा बदलने का सोचा, लेकिन वक़्त ने साथ नहीं दिया। अब उनके पिता की आंखों में सिर्फ आंसू, यादें और अधूरा वादा रह गया है।

Disclaimer: यह रिपोर्ट विमान हादसे में जान गंवाने वाले पायलट सुमित सभरवाल की व्यक्तिगत कहानी और पारिवारिक संदर्भ पर आधारित है।

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