क्या है स्कूल पेयरिंग नीति
UP सरकार ने परिषदीय स्कूलों में बच्चों की कम संख्या को देखते हुए ‘School Pairing’ नीति लागू करने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य है कि पास-पड़ोस के स्कूलों को एक यूनिट की तरह संचालित किया जाए ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। इस योजना की घोषणा अपर मुख्य सचिव (बेसिक शिक्षा) दीपक कुमार द्वारा की गई है।
योजना का उद्देश्य
- कम नामांकन वाले स्कूलों का बेहतर स्कूलों से समन्वय
- भवन, कक्षा, स्मार्ट क्लास और आईसीटी संसाधनों का साझा उपयोग
- शिक्षकों की उपलब्धता में सुधार
- ड्रॉपआउट दर को कम करना
- नामांकन में वृद्धि
- अभिभावकों से बेहतर संवाद
किन UP स्कूलों को किया जाएगा मर्ज?
- जिन स्कूलों में छात्र संख्या बेहद कम है
- समीपवर्ती स्कूलों के साथ मैपिंग कर इनका समावेश किया जाएगा
- खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा स्थलीय निरीक्षण कराया जाएगा
- शिक्षकों, अभिभावकों और स्थानीय लोगों से संवाद कर निर्णय लिया जाएगा
क्या होगा एकीकृत स्कूलों में?
मर्ज किए गए स्कूलों को एक यूनिट के रूप में चलाया जाएगा:
- साझा भवन और कक्षाओं का उपयोग
- बाल वाटिका और स्मार्ट क्लास की सुविधा
- ICT लैब का प्रभावी उपयोग
- पियर लर्निंग और शिक्षक क्षमता में वृद्धि
- समयबद्ध कक्षा संचालन सुनिश्चित किया जाएगा
- बीएसए कार्यालय में समस्याओं के समाधान के लिए एक तंत्र विकसित होगा
दो नए मॉडल स्कूल की योजना
राज्य में दो तरह के मॉडल स्कूलों की भी घोषणा की गई है:
मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय:
- पूर्व-प्राथमिक से कक्षा 8 तक की पढ़ाई
- कम से कम 450 छात्रों की क्षमता
- ₹1.42 करोड़ रुपये तक की लागत
मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट विद्यालय:
- कक्षा 12 तक शिक्षा
- प्रति विद्यालय लागत: लगभग ₹30 करोड़
- हर जिले में एक विद्यालय की स्थापना
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शिक्षकों का विरोध और सवाल
UP प्राथमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष निर्भय सिंह ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है:
- कई स्कूल बंद हो जाएंगे
- यह स्पष्ट नहीं है कि कितने बच्चों से कम नामांकन वाले स्कूल मर्ज होंगे
- यह निर्णय आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) की भावना के खिलाफ है
- ग्रामीण बच्चों की शिक्षा पर संकट
शिक्षक संगठन इसे स्कूल बंदी की योजना बता रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि बच्चों की संख्या की स्पष्ट सीमा तय की जाए और जन संवाद को प्राथमिकता दी जाए।
आगे की कार्ययोजना और निगरानी
- जिलाधिकारियों को कहा गया है कि वे कम नामांकन वाले स्कूलों की सूची तैयार करें
- UP स्कूलों की पेयरिंग की रिपोर्ट समय-समय पर बेसिक शिक्षा निदेशालय और राज्य परियोजना कार्यालय को भेजी जाए
- शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि शिक्षकों की भूमिका तय की जाएगी और किसी भी शिक्षक को कार्य में असमंजस नहीं रहेगा