उत्तर प्रदेश सरकार ने 50 से कम छात्र संख्या वाले 5000 से अधिक स्कूलों के विलय का फैसला लिया है। शिक्षक संगठनों ने इसे शिक्षक भर्ती और शिक्षा अधिकार कानून के खिलाफ बताया है।
🏫 उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के विलय की तैयारी शुरू
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राज्य की स्कूली शिक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। सरकार ने कक्षा 8 तक संचालित होने वाले ऐसे सरकारी स्कूलों को मर्ज करने का निर्णय लिया है, जहां छात्रों की संख्या 50 से कम है। इस कदम के तहत प्रदेश के 5000 से अधिक प्राथमिक व अपर प्राइमरी स्कूलों का दूसरे स्कूलों के साथ विलय किया जाएगा।
इस आदेश के बाद से प्रदेश भर के शिक्षक संगठनों में आक्रोश है। उनका कहना है कि इससे नई शिक्षक भर्ती पर संकट आ सकता है और मौजूदा शिक्षकों की संख्या में कटौती हो सकती है।
📄 आदेश में क्या कहा गया है?
बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार:
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50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को नजदीकी स्कूलों में मर्ज किया जाएगा।
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यदि स्कूल के रास्ते में कोई बाधा जैसे नाला, नदी, हाईवे या रेलवे ट्रैक है, तो उसे भी मर्ज किया जा सकता है।
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मर्ज किए गए स्कूलों को बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि उनका उपयोग आंगनबाड़ी, बाल वाटिका, लाइब्रेरी और खेलकूद गतिविधियों के लिए किया जाएगा।
📚 मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट स्कूल योजना
राज्य सरकार की योजना है कि हर जिले में एक मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट स्कूल स्थापित किया जाए। ये स्कूल स्मार्ट क्लास, कम्प्यूटर रूम, मिड-डे मील किचन, वाई-फाई, ओपन जिम, टॉयलेट और डायनिंग हॉल जैसी आधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे।
सरकार का मानना है कि इस फैसले से छात्रों को बेहतर संसाधन मिलेंगे और नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
📍 लखनऊ में 445 स्कूल होंगे मर्ज
इस योजना के तहत लखनऊ जिले में ही 445 स्कूलों का विलय किया जाएगा। लखनऊ के बेसिक शिक्षा अधिकारी राम प्रवेश ने कहा कि “स्कूल बंद नहीं होंगे, बल्कि बच्चों को पास के स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि खाली हुए स्कूल भवनों का उपयोग अन्य बाल विकास गतिविधियों के लिए किया जाएगा।
✊ शिक्षक संगठन क्यों कर रहे विरोध?
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने कहा:
“यह शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 का उल्लंघन है। इससे दूर-दराज के बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी होगी और शिक्षकों की भर्ती पर संकट आएगा।”
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो विरोध-प्रदर्शन और कानूनी लड़ाई की जाएगी।
🧾 निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों के विलय की यह योजना शिक्षा में संसाधन एकीकरण के उद्देश्य से की जा रही है। हालांकि, इस फैसले से शिक्षक संगठनों और शिक्षा से जुड़े लोगों में चिंता है कि इससे न केवल नई शिक्षक भर्तियों पर असर पड़ेगा, बल्कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम भी प्रभावित होगा। अब देखना यह होगा कि सरकार अपने फैसले पर कायम रहती है या शिक्षक संगठनों के दबाव में कोई संशोधन लाती है।